भारत में होलिका दहन का धर्म और रीती-रिवाज को लेकर हिन्दू धर्म में अनूठी श्रद्धा है। रंगों का उत्सव होली का पर्व आने में अब बस चंद दिन ही बाकी है। इस साल 25 मार्च को होली मनाई जाएगी। वहीं इससे एक दिन पहले होलिका दहन होगा। यानी 24 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा। होलिका को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, होलिका दहन की विधिवत पूजा करने से घर में नकरात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं। साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। इतना ही नहीं होलिका दहन की पूजा विधिवत के साथ करने से परिवार के सदस्यों को बीमारियों से मुक्ति मिलती है। आइये जानते हैं होलिका दहन की पूजा में क्या-क्या सामग्री लगती है और इसकी विधि क्या है।
होलिका दहन शुभ मुहूर्त
दोपहर 03:22 मिनट से शाम 05:37 मिनट तक पूजन करना शुभ रहेगा. 24 मार्च को सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है जो सुबह 07 बजे से अगले दिन सुबह 06:22 मिनट तक रहेगा. ऐसे में इस बार होली का पर्व सभी के लिए सफलतादायक और उन्नतिकारक रहेगा
होलिका दहन के लिए कुल समय- 2 घंटे 27 मिनट
होलिका दहन की तारीख- 24 मार्च 2024
होलिका दहन पूजा सामग्री
कच्चा सूती धागा
नारियल
गुलाल पाउडर
रोली, अक्षत, धूप और फूल
गाय के गोबर से बनी माला
बताशा, नया अनाज और मूंग की साबूत दाल
होलिका दहन पूजा विधि
होलिका दहन के लिए इक्ट्ठा की गई लकड़ी को कच्चा सूत से तीन या सात बार लपेटें।
इसके बाद उसपर गंगाजल या शुद्ध पानी, फूल और कुमकुम छिड़कर कर पूजा करें।
पूजा के लिए माला, रोली, अक्षत, बताशे-गुड़, साबुत हल्दी, गुलाल, नारियल सब का प्रयोग करें।
‘असृक्पाभयसंत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:। अतस्त्वां पूजायिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव।।’ का उच्चारण करते हुए होलिका की सात परिक्रमा करें। पूजा करते समय होलिका के पास पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठना चाहिए।
आखिर क्यों होलिका का दहन किया जाता है जाने इसके पीछे की कथा
होलिका दहन से जुड़ी एक कथा काफी प्रचलित है जिसके अनुसार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने भाई के साथ मिलकर प्रहलाद को मारने की कोशिश की थी लेकिन प्रहलाद के बदले होलिका का ही दहन हो गया। इस कथा से भरता का बच्चा-बच्चा वाकिफ है लेकिन आज हम आपको इस कथा से थोड़ा आगे ले जाते हुए ये बताएंगे कि आखिर कैसे होलिका जो एक राक्षसी थी उसे देवी की उपाधि मिली और उन्हें पूजा जाने लगा। साथ ही, हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर आज हम आपको ये भी बताएंगे कि होलिका दहन की पूजा से व्यक्ति को क्या-क्या लाभ प्राप्त हो सकते हैं।
हिरण्यकश्यप नाम का राक्षस भगवान विष्णु (भगवान विष्णु के मंत्र) से घृणा करता था क्योंकि श्री हरि विष्णु के वाराह अवतार द्वारा उसके भाई का वध हुआ था। इसी कारण उसने तपस्या कर ब्रह्म देव से दिव्य वरदान मांगा और अपने राज्य में विष्णु पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया।
वह खुद को भगवान मानने लगा था। विष्णु पूजन करने वाले लोगों पर उसका अत्याचार बढ़ने लगा था। वहीं। खुद हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे। यह बात जब दुराचारी को पता चली तो उसने प्रहलाद को मारने के कई प्रयास किये।
बहन के साथ रचा षड्यंत्र
हर प्रयास में विफल होने के बाद जब हिरन्यकश्यप थक हार गया तब उसने अपनी बहन होलिका का सहारा लिया और प्रहलाद को मारने की योजना बनाई। होलिका को वरदान था कि वह आग में नहीं जलेगी और इसी के बल पर वह प्रहलाद को चिता पर लेकर बैठ गई।
विष्णु भक्त की भक्ति रंग लाइ और प्रहलाद अग्नि में से सुरक्षित बाहर आ गए पर हिरण्यकश्यप की बहन होलिका अग्नि में जलकर ख़ाक हो गई। इसके बाद से ही होलिका दहन मनाने की परंपरा शुरू हुई। अब सवाल ये उठता है कि आखिर होलिका को देवी क्यों माना जाता है।
जबकि होलिका एक राक्षसी थी और उसने अपने ही भतीजे का अहित करने की कोशिश की थी। तो इसका उत्तर यह है कि होलिका एक देवी थी जो ऋषि द्वारा दिए गए श्राप को भुगत रही थी। मृत्यु के कारण उस जन्म का उसका श्राप पूर्ण हो गया और अग्नि में जलने के कारण वह शुद्ध हो गई।
इसी कारण से होलिका को राक्षसी होने के बाद भी होलिका दहन वाले दिन देवी रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि होलिका दहन वाले दिन अग्नि में एक मुट्ठी चावल (काले चावल के उपाय)डालने से होलिका देवी की कृपा बनी रहती है और कोई भी आपका अहित नहीं कर पाता है। अग्नि के चक्कर लगाने से कष्ट मिट जाते हैं।
तो इस तरह एक राक्षसी बनी होलिका देवी। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
होलिका दहन पर टोटका कर जिंदगी में आ रही समस्याओं को दुर कर सकते है।
पौराणिक मान्यता है की होली के दिन यदि टोटका किया जाए तो जीवन की कई समस्याए दूर हो सकती है। बात करे होली की तो होली इसलिए भी महत्वपूर्ण त्यौहार है क्योंकि इसमें होलिका दहन होता है। इस दहन को हिंदू धर्म में सबसे बड़ा हवन पाना गया है। इस हवन में न लोग केवल अपने अंदर की बुराई का दहन करते हैं बल्कि जीवन में मौजूद नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए भी प्रयास करते हैं।
इस दिन आप कुछ आसान टोटके करके अपनाकर जीवन में आ रही दिक्कतों को दूर कर सकती हैं। इस विषय में हमने कुछ पंडितो से चर्चा की तो जाना और कई जानकरी हासिल की। वह कहते हैं, ‘यह दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का होता है। इस दहन को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा हवन माना गया है। लोग इस हवन कुंड से कुछ अंश घर ले जाते हैं और घर की ऊर्जा को शुद्ध करते हैं।’ पंडित जी कुछ आसान टोटके भी बताते हैं-
- होलिका की राख को घर लाएं और हर कोने में उसके अंश को रखें। ऐसा करने से घर का वास्तु दोष दूर होता है।
- होलिका दहन से पूर्व सूत से अपने शरीर को नापें और फिर उसे 7 फोल्ड में करके दहन में फेंक दें। ऐसा करने से भी खराब नजर उतर जाती है।
FAQs:
- होलिका दहन किस तिथि को होगा?
- होलिका दहन 24 मार्च 2024 को होगा।
- होलिका दहन के लिए कितना समय उपलब्ध है?
- होलिका दहन के लिए दो घंटे 27 मिनट का समय है।
- होलिका दहन के लिए कौन-कौन सामग्री चाहिए?
- होलिका दहन के लिए कच्चा सूती धागा, नारियल, गुलाल, रोली, अक्षत, धूप, फूल, गाय के गोबर से बनी माला, बताशा, नया अनाज और मूंग की साबूत दाल की आवश्यकता है।
- होलिका दहन की पूजा विधि क्या है?
- होलिका दहन की पूजा विधि में लकड़ी को कच्चा सूत से लपेटकर पूजन, गंगाजल और पूजा सामग्री का उपयोग किया जाता है।
- होलिका दहन से कैसे मिलते हैं लाभ?
- होलिका दहन से नकारात्मकताओं से मुक्ति, घर के वास्तु दोष से छुटकारा, और जीवन में समस्याओं के दूर होने का लाभ मिलता है।
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